ये किस्से है....ये कहानियाँ है
कविताएँ अघोरीयों की निशानियाँ है
ये यादों के श्मशान में सुलगती है
खयालो के कब्रितान से निकलती है
ये करिश्मे तो है मगर हवाबाज़ी है
है कभी शब्द्भ्रम कभी लफ्फाजी है
साहित्य है कभी और कभी दुष्प्रचार है
क्भी सत्ता को टक्कर कभी चाटुकार है
कभी इनसे हँसी से..पड़ते पेट में बल है
और अकसर आँखों को रुला दे..वो छल है
कविताएँ सत्ताओ तक से मोल ले लेती परेशानिया है
कविताएँ......पागल अघोरियो की लिखी कहानिया है......विपुल त्रिपाठी
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