Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

ये उसी का तीर है कि, ये ठिकाना जिसका है

 

ये उसी का तीर है कि, ये ठिकाना जिसका है
भला मेरे दिल पे कि, और निशाना किसका है.

 

 

भला मैं नाम ले के,क्यों रुस्वा करूँ उसको
नज़म के हर शेर पे, यहाँ शर्माना किसका है

 

 

मेरे अश-आर सुन, लोग जिक्र तेरा करते हैं
यानि मेहनत किसकि है, मेहन्ताना किसका है

 

 

कौन है जो मेरे साथ है, और नही भी है
ये बात सुन के हाय, मुस्कुराना किसका है

 

 

इस बज़्म में मुझसे, ऐसे अनजान ना बैठिये
अभी पोल खोल दूँगा, कि ये फसाना किसका है............................विपुल

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ