यूँ के फि़तरत मै सबसे, जुदा लाया
कि मैं नही आया, मुझको खुदा लाया
इश्क में कि मेरे खून का हर क़तरा
आँखों तक आया तो ज़लज़ला लाया
कोई भी दवा किसी के पास ना थी
कि बीमारे इश्क सबको दिखा लाया
बसकि नजरों से नजरें मिली थी मगर
शुरू एक आलम... जो सर बला लाया
एक नाराज़ महफिल में जाकर विपुल
हाथ क्या सबसे दिल भी मिला लाया.............विपुल
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY