Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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देश के कर्णधार

 

 

karndhaar

 

देश की शान हो, ऋषियों की सन्तान
हो ।
पहचानो अपनी शक्ति को, इतने क्यों लाचार हो ।
जानो अपनी शक्ति को, इतने क्यों लाचार हो ।

1-सुख का भंडार हो, शक्ति का आगार हो ,
देश के कर्णधार हो, पहचानो अपनी शक्ति को
इतने क्यों लाचार हो ।
जानो अपनी शक्ति को, इतने क्यों लाचार हो ।

2-सूर्य के समान हो , मशाल की ज्वाल हो,
शेर की दहाड़ हो, पहचानो जानो अपनी शक्ति को,
इतने क्यों लाचार हो ।
जानो अपनी शक्ति को इतने क्यों लाचार हो ।

3-दृढ़ इच्छा-शक्ति हो, राम-कृष्ण के समान हो,
झुका सकते असमान हो, पहचानो अपनी शक्ति को,
इतने क्यों लाचार हो ।
पहचानो जानो अपनी शक्ति को इतने क्यों लाचार हो ।

4- सूर्य अक्षय ताप हो, अटल दृढ़ संकल्प हो,
अनंत अजस्र स्रोत हो, पहचानो अपनी शक्ति को,
इतने क्यों लाचार हो ।
जानो अपनी शक्ति को इतने क्यों लाचार हो ।

5- भाग्य के निर्माण हो, तुम संस्कारवान हो |
नैतिक, विचारवान हो, पहचानो अपनी शक्ति को,
इतने क्यों लाचार हो ।
जानो अपनी शक्ति को इतने क्यों लाचार हो ।

6-शक्तियाँ असीम हैं, इनका अक्षय भंडार हो ,
सामर्थ्य में अपरंपार हो,पहचानो अपनी शक्ति को,
इतने क्यों लाचार हो ।
जानो अपनी शक्ति को इतने क्यों लाचार हो ।

 

 

विशाल शुक्ल ऊँ

 

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