Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

जगमग करता दीप

 

जगमग करता दीप
बूंद के नीचे सीप
सीप में लहराता सागर
जैसे नटवर नागर
नागर और हम
प्रकाश व तम
तम मांगे प्रकाश
तंत्र से जन आस
आस लिये वादा
कृष्ण और राधा
राधा चाहे श्याम
सीता मांगे राम
राम हमारा जीवन
जीवन सुंदर मन
मन मस्त राजन
सावन सा पावन
पावन सी ममता
जोगी जैसे रमता
रमता जब जोगी
मुक्त होता योगी
योगी जीवन योग
सहज सरल तू भोग

 


विशाल शुक्ल

 

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ