जगमग करता दीप
बूंद के नीचे सीप
सीप में लहराता सागर
जैसे नटवर नागर
नागर और हम
प्रकाश व तम
तम मांगे प्रकाश
तंत्र से जन आस
आस लिये वादा
कृष्ण और राधा
राधा चाहे श्याम
सीता मांगे राम
राम हमारा जीवन
जीवन सुंदर मन
मन मस्त राजन
सावन सा पावन
पावन सी ममता
जोगी जैसे रमता
रमता जब जोगी
मुक्त होता योगी
योगी जीवन योग
सहज सरल तू भोग
विशाल शुक्ल
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