Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कुछ फासले पहले भी हुआ करते थे

 

कुछ फासले पहले भी हुआ करते थे
कुछ फासले अब भी हुआ करते है
हुआ रोग ए मोहब्बत जबसे
उसकी हर कातिल अदा से ड़रते है
चाहने वालों की नुमाइश में थे हम
दोस्त मरने की बददुआ करते थे
देखती वह जनाजे को जब जब
शमशान को हम स्वर्ग देखा करते थे
मरकर उसकी कातिल अदा से हम
उसके एहसास से भी डरा करते है
जिंदा न कर दे कहीं वेवफा मोहब्बत
खुदा कसम मरने की दुआ करते है

 

 

 

विशाल शुक्ल ऊँ

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