Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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क्या होना था क्या हो गया

 

क्या होना था क्या हो गया
कोशिशें तमाम नाकाम रही
दिल को समझाने की मगर
था इकरार लो प्यार हो गया
सुना मोहब्बत तो बदनाम है
पर साजिश थी बाली उम्र की
तमाशबीन बनी रही दुनियाँ
प्यार बड़ा व्यापार हो गया
पूछा आशिक से जब हमने
जिंदगी और प्यार की दूरी
बोला जिंदगी के सफर में
प्यार मंजिल पार हो गया
परिंदा बच निकला तूफानों से
देखने प्रेम की दुनियाँ लोगों
गुलाम थी मोहब्बत पैसों के
लाचार परिंदा बेजां हो गया
………………………….

 

 


विशाल शुक्ल ‘ऊँ’

 

 

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