राधे ने जब
बाबा की जेल का
चक्कर लगाया!
तो आशा में
पानी फिरते देख
बापू चकराया!
बोले ....
राधे! तुम माँ की तरह
बेशक बाबा पर
ममता लुटाओ!
पर मैं उसका भी बाप हूँ
और तुम माँ हो
इस नाते कुछ तो प्रेम
मुझमें लुटाओ!
वो बोली...
जाने कौन से मुहुर्त में
पुलिस ने तुम्हे धरा है!
अपने ही लोगो से
तुमने अब तक जेल भरा है!
भगवान के लिए
मुझ पर रहम खाइये!
अपनी पटरानी होने से
आप ही मुझे बचाइये!
पटरानी बनकर
ना मैं जवां और ना माँ
रह पाऊँगी!
कानूनी लड़ाई लड़ते-लड़ते
आपकी तरह जेल में
सड़ जाउंगी!
विशाल शुक्ल
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