रोम रोम करे स्तुति
तन मन करे आरत है
सबको त्याग भजूँ तुझको
पूजा योग्य मेरा भारत है
तेरी इबादत क्या करूँ माँ
तेरी सेवा मेरी आदत है
विशाल शुक्ल ऊँ साहित्यकार
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रोम रोम करे स्तुति
तन मन करे आरत है
सबको त्याग भजूँ तुझको
पूजा योग्य मेरा भारत है
तेरी इबादत क्या करूँ माँ
तेरी सेवा मेरी आदत है
विशाल शुक्ल ऊँ साहित्यकार
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