Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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शव से शिव

 

ठीक वेलेन्टाइन डे के दिन
प्रेम की गिनती गिन
कलम बोली कागज से
मुझे तुमसे प्यार हो गया है
मेरा दिल तुझपे निसार हो गया है
आओ हम मिले
और विष्व उदय का नया इतिहास लिखे
कागज बोला
हम दोनो मे बड़ा भेद है
मेरा तन मन सफेद है
सफेद होने के कारण
हम हर रंग मे रंग जाते है
अरे ! जहां सीधी उंगली से घी न निकले
तो हम गांधी चित्र से निकलवाते है
सीधे साधे काम से लेकर
आडे़ तिरछे काम तक में
हम पुज रहे है
तभी तो अन्ना रामदेव
को लोग पूछ रहे है
हमारे अंदर सत्य-असत्य
न्याय अन्याय सब कैद है
उसके बाद भी देखो
हम तुमसे कितने सफेद है
कलम बोली
माना आप सफेद है
पर आपके भी कुछ भेद है
जिन्हे लोग नही जानते है
और आपको मानते है
मै तो इतना जानती हूं कि
आप उस शिव की तरह है
जो मात्रा रूपी षक्ति से
अलग होने के बाद केवल
शव रह जाता है
और मेरी अक्षर रूपी शक्ति ना हो
तो आपका हाल भी उसी
तरह नजर आता है
अतः हे कागज रूपी शव
मुझसे मिल जाओ
और विष्व उदय के लिए ना सही
कम से कम अपने अस्तित्व
और मानव कल्याण के लिए
शव से शिव बन जाओ।

 

 

 

विशाल शुक्ल ऊँ

 

 

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