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बोल जम्हूरियत के ख़ुदा
इस बार क्या तू फ़ैसला दे ?
सियासत के जलजले से
सबको आजाद करादे !
बिजली पानी भले न मुफ्त दे
तसल्ली का लिबास देदे !
बन्दे आवारा, खुदा हो गए हैं
उनको उनकी औकात बतादे !
मोहब्बत का निजाम देदे
इश्क का हाकिम दिला दे !
खुशबू घोल बंबई के बाबू में
दोस्ती से सारी रंजिशे मिटा दे !
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विश्वनाथ शिरढोणकर
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