Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

अर्ज - !!!!!

 

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बोल जम्हूरियत के ख़ुदा
इस बार क्या तू फ़ैसला दे ?

 

सियासत के जलजले से
सबको आजाद करादे !

 

बिजली पानी भले न मुफ्त दे
तसल्ली का लिबास देदे !

 

बन्दे आवारा, खुदा हो गए हैं
उनको उनकी औकात बतादे !

 

मोहब्बत का निजाम देदे
इश्क का हाकिम दिला दे !

 

खुशबू घोल बंबई के बाबू में
दोस्ती से सारी रंजिशे मिटा दे !
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विश्वनाथ शिरढोणकर

 

 

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