इस घर की बहरी दीवारें
बर्तनों के टकराने की आवाज नहीं !!
इस घर की बेगानी दीवारें
कोई किसी को पहचानता नहीं !!
इस घर की खामोश दीवारें
यहाँ कोई हँसता नहीं !!
इस घर की नंगी दीवारें
मन का रुखापन जाता नहीं !!
कोना कोना ढांक लिया
झांक कर कोई देखता नहीं !!
कौन है आगे और कौन पीछे
दीवारों का किसी से रिश्ता नहीं !!
सहमे हुए आहिस्ता हो कदम
इन दीवारों में कोई दरवाजा नहीं !!
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विश्वनाथ शिरढोणकर
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