Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दो.… s.... s .... स्ती !!!!!

 

दोस्ती है या कोई इम्तहान ?
पास होना जरुरी है !!
बिना जोड़ बाकि के हो
वह दोस्ती जरुरी है !!
करम हो या सितम
बर्दाश्त करना जरुरी है !!
इसकी खबर ना उसकी खबर
होश गवाना जरुरी है !!
जुल्मों सितम से बेपरवाह
राजदार रहना जरुरी है !!
भले इसका कोई चेहरा न हो
खुशबू होना जरुरी है !!
ख़ुशी बाँट ले , गम बाँट ले
एक हमदम जरुरी है !!
किसी दिन कोई भूल न जाये
पलड़े में तौलना जरुरी है !!
उम्र भले ढलती रहे
यादों में खोना जरुरी है !!
उसकी याद , जिक्र और तमन्ना
इसका भी जवाब जरुरी है !!
दोस्ती का कभी मौसम न बदले
इसका इंतजाम भी जरुरी है !!
दोस्ती में गर किसी के पागल हो
सिरफिरों से दोस्ती भी जरुरी है !!
दोस्ती की हक़ीक़त तू जान ले
दोस्ती में अफ़साने भी जरुरी है !!
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विश्वनाथ शिरढोणकर

 

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