Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हालात

 

हंगामा कर रहे सब सलीक़े से
कोई नहीं करता सलाम अदब से !!
पता नहीं किसकी जान जा रही भूख से
जिन्दा है आपके लिए , मर रहा खुद से !!
जम्हूरा उडता आकाश में जाने कहाँ कहाँ से
जम्हूरियत लटकी रस्सी पर उसकी बला से !!
ख़त्म हो नूरा कुश्ती लड़ रहे हो कब से
जानते है सब ये मिलीभगत है किससे !!
वे पर्दानशीं खुद जाते रहे मिज़ाज से
करोड़ो की दौलत निकली जिनके घर से !!
वे मस्तवाल है आज कुछ गमगीन से
सुनाई दे रही आवाज खुद की ही क़ब्र से !!
लाचार नहीं सुदामा अब मांग रहा द्वारका
सदमे में है किशन ,निकलता नहीं घर से !!
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विश्वनाथ शिरढोणकर

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