इमां नीयत में तब्दील हो गया
नीयत ही तो थी बदल गयी होगी !!
इश्क के बुखारसे छुटकारा कैसा
तबियत ही तो थी आ गयी होगी !!
इश्क में साजो सामान से वास्ता ?
जरुरत ही तो थी पड़ गयी होगी !!
हस के वो सूली पे चढ़ गया
सजा ही तो थी भुगतली होगी !!
करवटे बदलता रहा गफ़लत में
रात ही तो थी गुजर गयी होगी !!
इंतजार में होश गवाया उसने
कली ही तो थी खिल गयी होगी !!
रो रो मरता रहा जिंदगी के लिए
जिंदगी ही तो थी कट गयी होगी !!
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विश्वनाथ शिरढोणकर
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