Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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इनदिनों

 

सुनाए जा रहे मेरे ही किस्से इन दिनों
मुगालते में रहते सब लोग इन दिनों !!

 

गंगा जमुनी तहजीब के झंडा बरदार
घबराए घरो मे दुबक गए इन दिनों !!

 

तू क्या और तेरा भिकमंगा वजूद क्या
कोडियों में सब बिक गए इन दिनों !!

 

कौन सी मज़बूरी का आलम है देखले
हमारा रास्ता एक लग रहा इन दिनों !!

 

कहर ढाते तूफां हज़म करने के दावेदार
समंदर बेजान रेत से हारते इन दिनों !!

 

सैलाब ने बर्बाद आशियाने कर दिए है
नदियों ने धारे मोड लिए इन दिनों !!

 

बेजान खून के कतरे भी गवाही देते है
मौत कुछ सहमि सी रहती इन दिनों !!

 

मौत से पाहिले जुबा लड्खडाती नहीं
जिन्दा रहते रूह कांपती इन दिनों !!

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विश्वनाथ शिरढोणकर

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