कहते है कसम ले लो गर इश्क़ में जाएंगे
इनकों भी मरते देखा उनकों भी मरते देखा !!
इश्क़ मोहब्बत , जुदाई में दर्द भला क्यों हो
पूछ रहें हैं वों जिनकों दर्द में तड़पते देखा !!
किसी भी झरोंखे से कोई रोशनी नहीं निकली
सारी रात छत पे पूनम के चाँद को रोते देखा !!
ख़ुद के आसुओं से बोझिल हो गयी जिंदगी
किसी के दर्द का ताउम्र उसे बोझा ढोते देखा !!
यहाँ रहे वहाँ रहे गर्दिश में या गुमनामी में
तमाम उम्र यादें इंतज़ार में सिसकते देखा !!
वों ग़म भरा प्याला ज़हर के साथ पी गया
दोस्तों की बेरुखी से उसे गर्दिश में मरते देखा !!
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विश्वनाथ शिरढोणकर
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