Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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खुद हो के बिका है तो बिका ही रह

 

खुद हो के बिका है तो बिका ही रह

खरीददार बनने की कोशिश न कर !!

झूठे वादों को सहने की हमें आदत है

अरमान जगाने की कोशिश न कर !!

अब तक तो अँधेरे में भटक रहा था

सूरज को खरीदने की कोशिश न कर !!

देख नादा है अभी अनजान जरासा

समझदार बनने की कोशिश न कर !!

माना बेवफा ही सही , झूठा ही सही

ईमानदार दिखने की कोशिश न कर !!

सियासत की दलदल रास न आयेगी

अब रहबर बनने की कोशिश न कर !!

एक सैलाब था बह गया रुबरु हो गया

जलजला बनने की कोशिश न कर !!

कल तक करता था सड़कों प् आवारगी

आज ख़ुदा बनने की कोशिश न कर !!

पर्दानशीं झरोखें से,बोल और बोलता रह

किसीको बरगलाने की कोशिश न कर !!

ये वक्त , ये हुजूम न तेरा है न मेरा

देख इसे आजमाने की कोशिश न कर !!

इजाजत सांस लेने की कोई लेता नहीं

सबको फरेब में लेने की कोशिश न कर !!

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विश्वनाथ शिरढोणकर

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