Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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खुदा नाराज है

 

गर तेरा ही खुदा तुझसे नाराज है
उसकी दह्लीज पर बैठना छोड़ दे !!
कोई पहाड़ तुझ पर टूट पड़ा है
आसमां को देख सारे पत्थर फोड़ दे !!
कोई वक्त गर दुश्मन होने को है
वक्त से पहले वक्त की धारा मोड़ दे !!
हमेशा खूबसूरत चेहरा दिखाता हो
यूँ जलील करता हो वो आईना तोड दे !!
तू कोई पत्थर नही जो कभी न पिघले
पिघलना है तो पत्थर बनना छोड दे !!
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विश्वनाथ शिरढोणकर

 

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