खुशिया है गलतफ़हमी की
दर्द बाट रहे है खुशफ़हमी के !!
जहाँ हैं झोपड़े दिलदारो के
वहीं महल हैं उजड़े लोगों के !!
न मिलने के न बिछड़ने के
अब गीत गाते रहेंगे दर्द के !!
सहमीं सी नज़र होगी चाँद की
सूरजके कदम होंगे बर्बादी के !!
यहाँ किसका सपना सच हुवा ?
जब सबके सपने हो मिटने के !!
चोरी छुपे इजहार हमदर्दी का
यहाँ रुबरु हैं निशां जख्मों के !!
सियासत में न दोस्ती न दुश्मनी
सारे चट्टे बट्टे हैं एक ही थैले के !!
-------------------------------------
विश्वनाथ शिरढोणकर
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY