Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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खुशिया है गलतफ़हमी की

 

खुशिया है गलतफ़हमी की

दर्द बाट रहे है खुशफ़हमी के !!

जहाँ हैं झोपड़े दिलदारो के

वहीं महल हैं उजड़े लोगों के !!

न मिलने के न बिछड़ने के

अब गीत गाते रहेंगे दर्द के !!

सहमीं सी नज़र होगी चाँद की

सूरजके कदम होंगे बर्बादी के !!

यहाँ किसका सपना सच हुवा ?

जब सबके सपने हो मिटने के !!

चोरी छुपे इजहार हमदर्दी का

यहाँ रुबरु हैं निशां जख्मों के !!

सियासत में न दोस्ती न दुश्मनी

सारे चट्टे बट्टे हैं एक ही थैले के !!

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विश्वनाथ शिरढोणकर

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