-' हमारी पार्टी का ही मुख्यमंत्री अगला प्रधान मंत्री होगा। '
- ' गलत। यह कैसे सम्भव है ? कल ही हमारी पार्टी के नेताओं की बैठक हुई थी जिसके तत्काल बाद हुई पत्रकार वार्ता में बड़े नेताओं ने घाषणा की थी कि हमारी पार्टी का ही मुख्यमंत्री अगला प्रधानमंत्री होगा । '
- सम्भव ही नहीं। हम लोग तुम्हारी पार्टी के मुख्यमंत्री को किसी भी सूरत में प्रधानमंत्री नहीं होने देंगे। '
- ' क्यों बहस कर रहे हो। अरे हम लोग तो बहुत छोटे कार्यकर्ता हैं। कोई भी प्रधानमंत्री बने हमें क्या लेना देना। तुलसीदास जी कह गए , ' कोई नृप होवे हमें का हानि। '
- ' एक राजनितिक दल के सक्रिय कार्यकर्ता होकर तुम ऐसे कैसे कह सकते हो कि देश के प्रधानमंत्री से तुम्हे कुछ लेना देना नहीं। अगर हमारे दल का प्रधानमंत्री बनता हैं तो वह हमारे सब काम करेगा। '
-' कमाल है , तुम्हारे काम करेगा तो फिर देश के काम कब करेगा ?'
- दल पाहिले। उससे पाहिले कार्यकर्ता। हमें यह बताया जाता है कि दल मतलब देश और देश मतलब दल। और फिर जो कार्यकर्ता ,और दल के लिए कुछ नहीं कर सकता वह देश के लिए क्या करेगा ?'
-' कौन से झंडे गाड़े है तुम्हारे मुख्यमंत्री ने ? अरे कई गावों में बिजली तक नहीं है तुम्हारे राज्य में। '
-' रहने दो।. आने वाले पचास वर्षों में राज्य का कोई भी गांव बिना बिजली के खम्बो के नहीं रहेगा। गांव गांव में बिजली का खम्बा होगा। हल ही में हमारे मुख्यमंत्री ने विधानसभा में यह घोषणा कर रखी है। '
- ' मालूम है। पर क्या तुमको मालूम है क्या कि हमारे भी मुख्यमंत्री ने भी हाल ही में विधानसभा में घाषणा कर राज्य की प्यारी जनता को वचन दिया है कि आगामी सौ सालों में राज्य में सबको श्वास लेने के लिए शुध्द हवा का मुफ्त में इंतजाम करेंगे। कहा बेजान बिना बिजली के खम्बे , और सबके जिन्दा रहने के लिए मुफ्त शुद्ध वायु का इंतजाम करना। कुछ फर्क है कि नहीं? मैं तुमको कहता हू,हमारा ही दल श्रेष्ठ प्रधानमंत्री दे सकता है। तुमको पता है क्या तुम्हारे मुख्यमंत्री के पास कितनी सम्पति है ? उन्होंने अपनी सम्पति की घोषणा भी अभी तक नहीं की है। '
- ' तुम्हारे मुख्यमंत्री ने कहा की है घोषणा ?'
- ' अभी हाल ही में की है। पर तुम्हे क्यों बताऊ ?'
- जानता हू। स्विस बैंक में खाता होगा इसलिए बताना नहीं चाहते होंगे। '
- चाहे जो समझले तू। अरे हमारे मुख्यामंत्री ने तो घोषणा कर रखी है कि अगर वे प्रधानमंत्री बने तो स्विस बैंक की देशभर में शाखाए खुलवाएंगे। ताकि घोटालों का करोडो रूपया देश में ही जमा हो सके , ताकि विरोधी देश का पैसा विदेशों में भेजने का आरोप नहीं लगा सकेंगे । '
- ' पर तुम्हारे मुख्यमंत्री का स्विस बैंक में खाता तो होगा ? '
- ' क्या बताऊ , हमारे मुख्यमंत्री ने एक इंच भी जमीन का टुकड़ा तक नहीं माँगा है किसी से आजतक। ऊपर से तू मेरा यार , नहीं बताके कहा जाउंगा। पर पहले तू बता तुम्हारे मुख्यमंत्री के पास क्या क्या है ?'
- ठीक है , मैं ही बताता हू। हमारे मुख्यमंत्री के पास जो घोषित सम्पति है वह इस तरह है , एक जोड़ी धोती , एक पहनते है और एक सूखाते है। एक जोड़ी लट्ठे की जेबवाली बनियान। वह भी एक पहनते है एक सुखाते है। पगार के पैसे रखने के लिए जेबवाली बनियान जरुरी है। एक जोड़ी चप्पल। वह हमेशा पहने ही रहते है। इतनी सादगी पसंद मुख्यमंत्री है हमारे। महीना आखिर उनकी जेब में पगार के रुपये वैसे वैसे ही पड़े रहते है। '
-' क्या कहते हो ? एक भी रूपया खर्च नहीं करते ?'
-' अरे सादगी पसंद है तो क्या हुआ , है तो राजनीति के मंजेहुए खिलाडी। दिन भर लोगों को फ़ोकट में आश्वासन देते रहते है। फिर और कुछ क्यों देना ? '
-' मतलब गरीबी रेखा के नीचे है क्या हमारे जैसे ?'
- तो क्या तुम्हारा मुख्यमंत्री गरीबी रेखा से ऊपर है ? सचमुच स्विस बैंक में खाता है क्या उनका ?'
- ' तुम तो विरोधियो जैसे सीधे स्विस बैंक पहुच गए। हमारे मुख्यमंत्री का तो किसी भी बैंक में खाता तक नहीं है . लेकिन इतना सच है कि हमारे मुख्यमंत्री के पास तुम्हारे मुख्यमंत्री से ज्यादा घोषित सम्पति है। इसलिए हमारे दल का मुख्यमंत्री ही देश का अगला प्रधान मंत्री बनेगा। '
- वो कैसे ?'
- ' हमारे मुख्यमंत्री के पास एक जोड़ी धोती है। एक पहनते है एक सुखाते है। और हाँ एक जोड़ी लट्ठे कि जेबवाली बनियान , पगार रखने के लिए हमारे मुख्यमंत्री के पास भी है। उनके पास भी एक जोड़ी चप्पल है। . . . '
- ' बरोब्बर . . हुई कि नहीं दोनों की सम्पति बराबर ? '
- 'ठहरो। ठहरो , इतनी जल्दी प्रधानमंत्री के बारे में तय करके अलग मत हो। हमारे मुख्यमंत्री के पास एक पीले रंग की टोपी ज्यादा है। हुई कि नहीं हमारे मुख्यमंत्री की सम्पति ज्यादा। '
- ' अब तो हद हो गयी। वह टोपी तो उनकी है ही नहीं। उन्हें जंतर-मंतर पर भेट में मिली थी , मतलब उनकी अर्जित सम्पति नहीं है। '
-' पर मालिक तो वही है। इस नाते वह उनकी दौलत ही हुई ना ? और इस तरह हमारे मुख्यमंत्री के पास ज्यादा सम्पति होने से प्रधानमंत्री वही बनेगे। '
-' क्या कहता है रे तू ? हमारा प्रधानमंत्री , हमारा प्रधानमंत्री , एक ही रट , एक ही पहाड़ा बोले रहा है। मै भी देखता हू हमारे मुख्यमंत्री को कौन रोकता है ? है क्या तेरे में दम। आजा मैदान में तेरे को भी देख लेता हु।
- ' हा आजा। आज तुझे भी देख ही लेता हू।
- ' क्या देखेगा रे तू ? कुछ ज्यादा ही चढ़ गयी है क्या ? '
-- ' तेरे को भी तो ज्यादा चढ़ गयी है। उतारनी पड़ेगी। '
-'पर हम झगड़ क्यों रहे है ? 'ज्यादा चढ़ गयी है क्या ?'
शांत हो जा , शांत हो जा , बिलकुल शांत। तू मेरा भाई है। ला गिलास कर इधर , थोड़ी और ले। '
- ' ला दे। क्या समझ रखा है। पिछली बार सिर्फ तेरे कहने भर से तेरी पार्टी के धरने और आंदोलन में मै तेरे साथ आया था। पुलिस के डंडे भी खाये और दिन भर भूखा भी रहा। '
-' उसका क्या ? मै भी तो पिछले महीने तेरे कहने से तुम्हारी पार्टी के हल्ला बोल में शामिल हुवा था। तू बोला था लंच पेकेट मिलेगा , ऊपर से सौ रुपये भी मिलेंगे। खाक , कुछ भी नहीं मिला , ऊपर से दिन भर भूखा पड़ा सो अलग। '
-' अरे नाराज मत हो। लंच पेकेट मिला था वह तेरी भाभी ने खाया और पैसे मैंने रख लिए। '
- ' मेरे पैसे तूने रख लिए ? '
- ' चलता है रे सब . आज की दारु पार्टी उन्ही पैसो से तो है। और तू नहीं खा गया था मेरे पैसे एक बार। '
-' अरे हम तो छोटे से कार्यकर्ता है। हम क्यों आपस में लड़ रहे है ? '
- ' उतर गयी ना। जल्दी उतर गयी। अच्छा ही हुआ। चल समेट जल्दी। कल एक किसी और पार्टी के लिए दिल्ली चलो आंदोलन में मेरे साथ चलेगा क्या ? उनको भीड़ इक्कठी करनी है और त्योहारो के कारण आदमी मिल नहीं रहे। इसलिए वो किसी को भी दिल्ली ले जेन को तयार है। आने जाने का खर्च , खाने को , और ऊपर से १५० रुपये रोज मिलेंगे। चलता है तो बोल। '
-' हा हा चलूँगा। '
Vishwanath Shirdhonkar
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