कुछ लिख लीजिये , फिर उसे मिटा दीजिए
मिटाने के लिए ही सही कुछ तो लिख लीजिए !!
रोज मना लीजिये " डे " रिश्ते अनछुए रह जाए
दीवाने आम सजा रहे,जज्बातों को भुला दीजिए !!
मोबाइल,कम्प्यूटर है ख़ास ,अब उदास हो गए रिश्ते
संबधो की दहलीज पर ही सब सहन कर लिजिए !!
पसीना बहा नदी में घिस गयी हात की रेखाए
सुबह के इंतजार में अब रात भर जाग लीजिए !!
आडी तिरछी ये दुनिया कहा चल दिए सीधी राह
बचते बचाते रहिये सबके एहसान मान लीजिए !!
किसी को लूट ना पाए तो लूट लेगा ज़माना आपको
फिजा का रंग ही ऐसा है किसी को तो लूट लीजिए !!
विश्वनाथ शिरढोणकर
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