पलकें मूंद कर न दिखने का ढोंग कीजिए
कुछ देर अँधेरे में रहिए ऊजाला दूर होगा !!
राहू से झगड़िएं , केतु से दो हात किजीए
कुंडली के ग्रहों में ये साहस क्यूं कर होगा ?
चेहरे सभी चटके और दिखते टुकडे टुकडे
सूरत बदरंग होगी आईना खामोश होगा !!
मेरी ओर वो , मैं उसकी ओर देख रहा था
मेरा देखना गुन्हा, ये कानून कहाँ होगा ?
मिटती नहीं मिटाएं हात की ये रेखाएँ
पाँव की रेखा का तक़दीर से क्या संबंध होगा ?
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विश्वनाथ शिरढोणकर
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