पलके मूँद कर न दिखने का ढोंग कीजिये
कुछ देर अँधेरे में रहिये , उजाला दूर होगा
राहू से झगडिए , केतु से दो दो हात कीजिए
जन्मकुंडली के ग्रहों में ये साहस कहा होगा ?
सभी शीशे चटके हुए , अब सारे चेहरे बस टुकडे
क्या करेगा आइना , जब चेहरा ही कुरूप होगा ?
वो मेरी ओर देख रही थी मै उसकी तरफ देख रहा था
मेरा देखना गुन्हा हो जाय भला ऐसा कानून कहा होगा ?
अंतरमन के पत्थर पीठ पर बांधकर सिर्फ भागमभाग
पावों की रेखाओं का भला तकदीर से क्या सम्बन्ध होगा ?
विश्वनाथ शिरढोणकर
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