नाराज है पथिक कि पथ बदल गया
सदमे मे है पथ कि युग बदल गया !!
अफसोस युग को कि ध्येय बदल गया
ध्येय क्या करे जब समय बदल गया !!...
समय क्या करे जब काल आ गया
काल क्या करता जब स्वार्थ आगया !!
स्वार्थ रहा बेबस जब मोह छा गया
मोह भी तो अंगद का पाव बन गया !!
उजाले की राह का रोडा बन गया
छन कर आती धूप का दर्द बन गया !!
दर्द कैसे जायेगा जब नासूर हो गया
नंगे बदन पर कैसे कैसे जख्म दे गया !!
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विश्वनाथ शिरढोणकर
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