पत्थर का जिक्र हुआ तो मोम पिघल गए
शमा की खातिर कई परवाने पत्थर बन गए !!
संग को क्या शौक कि किसी के सर जा लगे
आदमी के हाथ में आए तो संगदिल हो गए !!
पत्थर पे क्या चर्चा करेगा बेजान ही रहेंगे
गुफ्तगू कर आदमी पर जो बेजान हो गए !!
तबियत से पत्थर उछाले , पत्थर से टकराए
पत्थर का जिगर भले हो , पथर ना बन जाए !!
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विश्वनाथ शिरढोणकर
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