आस्था से अनास्था का कमाल देखिए
पुतला बन बस निर्मोही से खड़े रहिए !!
धूप में जले बारिश में भीगे सर्दी में ठिठुरे
ज़माने के सब जुल्म चुपचाप सहते रहिए !!
शाने हिन्द और सितारा मुल्क के
अब राह की धूल फाँकते रहिए !!
मजमा अपनो का ये मेले का हुजूम
चौराहे पर हुजूर लावारिस ही रहिए !!
जिल्लत की जिंदगानी और ख़ौफ का धुँआ
पत्थर की गर्दन को अब कैसे हिलाइए ?
माना की जन्नत की पाक रूह है
इस जहान के तो पत्त्थर ही रहिए !!
मौत से पाहिले बस इतना भर कर लीजिए
अब तो किसी पत्थऱ में जान डाल दीजिए !!
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विश्वनाथ शिरढोणकर
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