मोटी राजनीति की खाल
इनकी लाठी में है वार
उनके त्रिशूल में भारी धार
तेज बड़ी इनकी तलवार
लोकतंत्र होता तार तार
राजनीति के महंगे औजार !!
लाशों पे रोटियां सेंकते
जीवितों के श्राद्ध करते
नियमों का करते पिंडदान
सब्जबाग का डमरू बजाते
मदारी को ही नचाते बारबार !!
राजनीति के महंगे औजार !!
ये दलितों के मसिहां है
वो बाबा के अनुयाई
ये अगड़ो के नेता है
वो लपक कर पिछडों में
जबरन पहन बैठे है हार !!
राजनीति के महंगे औजार !!
इनका उन पर खूब वार
उनका इन पर पलटवार
और उनके पलटवार पर
भारी इनका उलटवार
जनता रोती जार जार !!
राजनीति के महंगे औजार !!
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विश्वनाथ शिरढोणकर
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