रंग थे रंगने के लिए रँगा कर देख लिए
रंगने के बाद सब लग रहे थे एक से !!
रंगने से पहिले क्या खूब अलग से रंग थे
हंस कर बोले देखलो कर के अलग फिर से !!
रंगने के लिए ही हम लाल हो या नीले
आज हम एक है पर वजूद थे अलग से !!
रंग जज्बातों के हम गम हो के ख़ुशी
हम मिलाते सब को ,वरना कौन मिले किससे ?
सब खेले हमसे देखो बस एक ही रोज
हम ही खेलते रोज राजा से और रंक से !!
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विश्वनाथ शिरढोणकर
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