Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

रास्ता बदल ले !!!!!

 

आप अपना शेर सुनाएँ मै भी अपना मक्ता रख दूं
ज़िंदगी का सफ़र सुनने सुनाने में तय कर लिजिए !!


पूछने पर नहीं बताता रास्ता किसी मंज़िल का पता
कदम जहा पर रुक जाए मंज़िल वही बना लिजिए !!


कोई पल मजबूर करे गर दिल की दिल्लगी से
दिल की ख़ातिर ही उसे सिने से लगा लीजिए !!


निकला था मुसाफिर किसी मंज़िल की तलाश में
गर्दिश में भटक गया हो उसे अपना बना लीजिए !!


आसानी से मिल जाए वह मंज़िल तलाश लीजिए
ख्वाबों में ही सही अपना रास्ता बदल लीजिए !!

 


-------------
विश्वनाथ शिरढोणकर

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ