इक बार आखिर रो लिया मेरी मज़ार पर
वैसे जिंदगी भर उसे रोने का शऊर न रहा !!
शानो शौकत का ' मॉल ' गुलजार हो गया
रोने रुलाने का रास्ता अब आबाद न रहा !!
रोने का किसे शौक रुलाने की किसे फुर्सत
इन आंसुओं में अब वो जज्बात न रहा !!
आंसू का मतलब ' गूगल ' पर खोजता है
इस सदी में इस अजूबे का चर्चा न रहा !!
जान ले इश्क़ में कोई रोता नहीं इन दिनों
दर्द नक़ली होने लगा इश्क़ सच्चा न रहा !!
फ़िक्र की नज़ाकत को जिसने समझा
उसका रोने से यहाँ कोई वास्ता न रहा !!
रो रो कर अपने ही आंसुओं में नहा लेंगे
कन्धा यहाँ किसी का अब आंसा न रहा !!
खुद जलकर कई चिराग रोशन करता रहा
इक उम्र के बाद वो घर का चिराग न रहा !!
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विश्वनाथ शिरढोणकर
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