जुड़वां ही तो है ,सगे भी है
सालों साल हमारी पक्की दोस्ती
मेरे बिना उन्हें चैन नहीं पड़ता
वो एक पल भी न हो तो
कुछ खोया खोया सा लगता है !!
वो कभी मुझे अकेला नहीं छोड़ते
कभी दोनों साथ रहते
तो कभी मेरे आगे पीछे
उनको मुझसे अपार स्नेह
हमरी मित्रता पर उन्हें भारी नाज !!
हमारी इस अटूट मित्रता के कारण
सभी अपने रूठ गए
अपनी राह अलग कर गए
फिर भी इन्होने
हमारी मित्रता में कोई
अंतर नहीं आने दिया !!
मेरे ऊपर इनके अनगिनत एहसान
इन्होने मुझसे मेरी पहचान कराई
दुनिया की भी पहचान कराई
ये नहीं होते तो मेरा क्या होता
जीने का इतना साहस कहाँ से आता !!
आओ मेरे दोस्तों
मेरे साथ नहीं
मेरे आगोश में रहो
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विश्वनाथ शिरढोणकर
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