ठहर गयी जिंदगी आगे बढ़ते बढ़ते
कदम हो गए बोझल घर आते आते !!
अटक गए शब्द सूर के निकलते
अचानक कोई रोया हंसी आते आते !!
फूल खो बैठे हंसी महक आते आते
पंछी भूले चहकना वसंत आते आते !!
जुगनू चमका अँधेरे में फिर खो गया
कुछ दे कर नही गयी रात जाते जाते !!
चाँद की किरणों से चांदनी तर बतर
चाँद ही शरमाया अमावस आते आते !!
बची खुची यादे सहेजते सहेजते
भूला दिया किसीने याद आते आते !!
दूर तक सीधे नजर थी मोड़ पर
ओझल हो गया कोई पास आते आते !!
-------------
विश्वनाथ शिरढोणकर
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY