Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तू चीखा मै भी चीखा

 

तू चीखा मै भी चीखा
कुछ तो छूट गया होगा !
तू दौडा मै भी दौडा
कुछ तो रह गया होगा !
तू जुदा मै भी जुदा
कोई तो रूठ गया होगा !
तू रोया मै भी रोया
कुछ तो टूट गया होगा !
तुने याद किया मैने याद किया
कुछ तो भूल गया होगा !
तू खामोश मै भी खामोश
कुछ तो बह गया होगा !

 

 


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विश्वनाथ शिरढोणकर

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