तुझको मुझसे और मुझको तुझसे क्या काम है ?
वक्त ने वक्त से मिलाया, वक्त ही जरुरत है !
बेवजह नहीं यूँ वक्त का बर्बाद होना
कुछ और नहीं , मिटने मिटाने की हसरत है !
वक्त पे खामोश रहे , वक्त पे चिल्लाएं
वक्त पे आंसू बहाएँ , वक्त की ही सियासत है !
मैंने जो लिखी इबारत , वक्त ने मिटा दी
खुद के लिखे पे इतराएँ , वक्त वो इबारत है !
दोस्ती और दुश्मनी वक्त की मोहताज है
तू नादाँ किसी से नफरत ,किसी से मोहब्बत है !
कोशिश कर ऍ इन्सां , तू वक्त को पढ़ सके
तेरी हो या मेरी , वक्त ही सब की इबादत है !
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विश्वनाथ शिरढोणकर
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