Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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यादें

 

 

जीवन में यादें ना हो तो जीना बेकार
अगर याद करे ना कोई तो जीना बेकार !!

 

यादों से ही शरमाते और यादों पे कुर्बान
मनमे पलती यादों से जुड़ते सबके तार !!

 

यादों के महलों में पलते है दु:ख पलनों में
यादें सहलाती यादों को यादों से होती दो चार !!

 

याद कभी आती बिरहा में जो सावन की धार
याद उधर भी आती होगी यही सब्र का आधार !!

 

दिखाते नहीं चहरे पे सीने में छुपाये बैठे है
खुलेंगी किस्से चर्चों में , करलू थोडा इंतजार !!

 

जलने के लिए चिता में अब लेटे है बेफिक्र
जानते है हवा में महकेंगी सारी यादें बारबार !!

 

 


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विश्वनाथ शिरढोणकर

 

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