जगती आँखों देखे सपने , वो लायेंगे अच्छे दिन
इस आशा में की वोटिंग कि, अब आयेंगे अच्छे दिन
शेयर का बढ़ गया केंचुंआ , अनुमानो की आहट से
रुपया कुछ मजबूत हुआ है , अब आयेंगे अच्छे दिन
हर परिवर्तन समय चाहता , अब वे ऐसा कहते हैं
पूछे वोटिंग वाली स्याही , कब आयेंगे अच्छे दिन
बूढ़ी आँखें बाट जोहती , उम्मीदों को सजा सजा
गिन गिन कर दिन बीत रहे हैं , कब आयेंगे अच्छे दिन
योजनायें बनती बहुतेरी , ढ़ेरों गुम हो जाती हैं
सबको पूरा करना होगा , तब आयेंगे अच्छे दिन
सरकारें बस राह बनाती , और दिशा दिखलाती हैं
चलना स्वयं हमीं को होगा , तब आयेंगे अच्छे दिन
विवेक रंजन श्रीवास्तव
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