Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अच्छे दिन

 

जगती आँखों देखे सपने , वो लायेंगे अच्छे दिन

इस आशा में की वोटिंग कि, अब आयेंगे अच्छे दिन

 

 

 शेयर का बढ़ गया केंचुंआ , अनुमानो की आहट से

रुपया कुछ मजबूत हुआ है , अब आयेंगे अच्छे दिन

 

 

 हर परिवर्तन समय चाहता , अब वे ऐसा कहते हैं

पूछे वोटिंग वाली स्याही , कब आयेंगे अच्छे दिन

 

 

 बूढ़ी आँखें बाट जोहती , उम्मीदों को सजा सजा

गिन गिन कर दिन बीत रहे हैं , कब आयेंगे अच्छे दिन

 

 योजनायें बनती बहुतेरी , ढ़ेरों गुम हो जाती हैं

सबको पूरा करना होगा , तब आयेंगे अच्छे दिन

 

 सरकारें बस राह बनाती , और दिशा दिखलाती हैं

 चलना स्वयं हमीं को होगा , तब आयेंगे अच्छे दिन

 

 

 

विवेक रंजन श्रीवास्तव

 

 

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