विवेक रंजन श्रीवास्तव विनम्र
तुमने फैला ली ना सनसनी ,
उत्तेजना और उन्माद !
एक ही धर्मस्थल पर
हरे और भगवे झंडे
लहराने को विवाद बनाकर !
पता नही इससे ,
तुम्हे मिले कुछ वोट या नही !
पर हाँ
आम आदमी की सुरक्षा और समाज में
शांति व्यवस्था के नाम पर
हमारी मेहनत के करोड़ो रुपये
व्यर्थ बहाये हैं सरकार ने ,
तुम्हारे इस जुनून के एवज में !
बंद रहे हैं स्कूल और कालेज
और नही मिल पाई उस दिन
गरीब को रोजी ,
क्योकि ठप्प थी प्रशासनिक व्यवस्था !
टीवी चैनल इस आपाधापी को
ब्रेकिंग न्यूज बनाकर , विज्ञापनो के जरिये
रुपयो में तब्दील कर रहे थे .
मेरी अलमारी में रखी
कुरान , गीता और बाइबिल
पास पास यथावत साथ साथ शांति से रखी थीं .
सैनिको के बैरक में बने एक कमरे के धर्मस्थल में
विभिन्न धर्मो के प्रतीक भी ,
सुबह वैसे ही थे , जैसे रात में थे .
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