Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

लगे हुए है मंच भी

 

1.लगे हुए है मंच भी,है कवियो की भरमार!
मौलिकता के संग है ,चौर छिपे दो चार !!

 

2.चोरो की भरमार है ,बचे न धन सामान !
काव्य चुराते लोग जो ,पाते यश और मान!!

 

3.जान बूझकर दे रहे,उन लोगो का साथ!
सच्चो को हम दूर करे,झूठे रखते साथ!!

 

4.अब लोगो को भा रहे, हसी खुशी नवगीत!
दोहा ,रोला, सोरठा,हुई पुरानी रीत!!

 

 

विवेक दीक्षित'स्वतंत्र'

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