कीचड़ में सना हुआ
यदि भ्रष्टाचार की बात करूँ
है सिर से पाँव तक लदा हुआ
यदि एक पैर आगे करता
दूसरे में कीचड़ लगा हुआ।।
यह वर्ग विशेष से जुड़ा नही
शिक्षा का कोई असर नही
जब पड़ा नजर एक शिक्षित पर
वह भी कीचड़ में सना हुआ।।
कहने को पाप ग़रीबी में
धनाड्य वर्ग मशगूल मिले
जो फल ज्यादा था पका हुआ
उसमें ही कीड़े ख़ूब मिले।।
जो नाव समन्दर पार मिली
उसमें सोये क़िरदार मिले
तालाब में डूबी जो नौका
उसमें असली हक़दार मिले।।
भीड़ दिखा ज्यों ज्ञानी का
नज़र दौड़ाकर देख लिया
कहने को ज्ञान की भीड़ लगी
सच में बस है हरण हुआ।।
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY