Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ज़िन्दगी भर नहीं भूलेगी

 


ज़िन्दगी भर नहीं भूलेगी वो बारात की रात,
आज भी हमको डराती है फसादात की रात,
हमको घोड़ी पे चढ़ा तो दिया जैसे तैसे,
स्वागत द्वार पे लाकर के उतारा ऐसे,
फिर फटे हुए पजामे में कटी रात की रात,
ज़िन्दगी भर नहीं भूलेगी —
पहले सासू नें थाली लेकर घुमाई ऐसे,
बकरा कटने से पहले पूजा करी हो जैसे,
फिर तिलकधारी भिखारी की हुई मात की रात,
ज़िन्दगी भर नहीं भूलेगी —
सारी दुनिया नें संग अपने खिंचाई फोटू,
एक साहब नें गोद में दिया अपना छोटू,
फिर उसी पोज़ में भीगी हुई बरसात की रात,
ज़िन्दगी भर नहीं भूलेगी —
आपने देखे कहीं और बहादुर ऐसे,
इस जगह आके लुटे लोग हैं कैसे कैसे,
फ्रीडमम् स्वाहा स्वाहा करती करामात की रात,
ज़िन्दगी भर नहीं भूलेगी —
जो गुलामी को शुरू कर दे वो जंज़ीर थी वो,
अंत लिख दे जो कहानी का वो शमशीर थी वो,
कुचले जज़्बात, सहमे दिल की, मुलाकात की रात,
ज़िन्दगी भर नहीं भूलेगी —

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