Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

तुम मेरे पास हो...

 

तुम मेरे पास हो...
-अजन्ता शर्मा          
         
 
तुम ख्याल बन,
मेरी अधजगी रातों में उतरे हो।
मेरे मुस्काते लबों से लेकर...
उँगलियों की शरारत तक।
तुम सिमटे हो मेरी करवट की सरसराहट में,
कभी बिखरे हो खुशबू बनकर..
जिसे अपनी देह से लपेटआभास लेती हूँ तुम्हारे आलिंगन का।
जाने कितने रूप छुपे हैं तुम्हारेमेरी बन्द पलकों के कोनों में...
जाने कई घटनायें हैं और गढ़ी हुई कहानियाँ...
जिनके विभिन्न शुरुआत हैं
परंतु एक ही अंत
स्वप्न से लेकर ..उचटती नींद तक
मेरे सर्वस्व पर तुम्हारा एकाधिपत्य।

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ