ऐ दोस्त क्या बताऊँ तुझे!
-अजन्ता शर्मा
इस दिल में क्या क्या अरमां छुपे
ऐ दोस्त क्या बताऊँ तुझे!
कोई नेह नहीं कोई सेज नहीं
कोई चांदी की पाजेब नहीं
बेकरार रात का चाँद नहीं
कोई सपनों का सामान नहीं
इन पत्तों की झनकार तले
किस थाप-राग मे हृदय घुले
ऐ दोस्त क्या बताऊँ तुझे!
न भाषा कोई के कह दूँ मैं
न आग-आह जो सह लूँ मैं
विकल बड़ा यह श्वास सा
शब्दहीन विचलित आस सा
जहाँ इंद्रधनुष व क्षितिज मिले
कुछ ऐसी जगह वह पले बढ़े
ऐ दोस्त क्या बताऊँ तुझे!
इस दिल में क्या क्या अरमां छुपे
ऐ दोस्त क्या बताऊँ तुझे!
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY