Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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नेताजी का अरमान

 

नेता-अभिनेता दोनों
हो गए एक समान
मंचों पर बैठकर गायें
एक दूजे का गान।
चिकनी चुपडी़ बातें करें
खूब करें अपना बखान
जनता का धन खूब लूटें
गायें मेरा भारत महान।
मँहगाई, बेरोजगारी खूब फैले
नेताजी सोते चद्दर तान
खुद खाएं मुर्ग मुसल्लम
जनता भुखमरी से परेशान।
कभी आंतक, कभी नक्सलवाद
ये लेते सबकी जान
नेताजी बस भाषण देते
शहीद होते जाबांज जवान।
चुनाव आया तो लंबे भाषण
खडे़ हो गए सबके कान
वायदों की पोटली से
जनता हो रही हैरान ।
संसद में पहुँच नेताजी
बघारते अपना ज्ञान
अगला चुनाव कैसे जीतें
बस यही रहता अरमान ।

आकांक्षा यादव
द्वारा - श्री कृष्ण कुमार यादव
निदेशक डाक सेवाएँ ,

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