सत्ता हस्तांतरण दिवस यह आता है हर साल.
मगर गरीबी में हैं जीते भारत माँ के लाल..
सत्य अहिंसा अस्त्र अनोखा उससे यह दिन पाया,
लाल जवाहर अनुयायी थे थी गाँधी की माया,
आतंकी क्या भगत, राजगुरु फाँसी पर चढ़वाया ?
खुदीराम की शुचि स्मृति में शौचालय बनवाया,
भूल गए नेता सुभाष को नाचें दे दे ताल.
मगर गरीबी में हैं जीते भारत माँ के लाल..
आज बने जो मित्र सेकुलर किया दबंगी धंधा.
लोकतंत्र रूपी अर्थी को वह ही देगें कंधा.
धर्म-कर्म तो त्याग चुके हैं ख़त्म करेंगें एका.
नष्ट संस्कृति को करने का अभी मिला है ठेका.
राजनीति का चोला पहना नहीं गली जब दाल.
मगर गरीबी में हैं जीते भारत माँ के लाल..
पहले थे सब गोरे शासक पर अब दिखते काले,
स्वार्थसिद्धि ही मजहब जिनका दिल में बरछी भाले,
आपस में ये हमें लड़ाते जूझ रहे मतवाले,
चित्त पटकनी देते रहते इनके दाँव निराले,
लकड़ी का ही बेंट लगाकर बनी कुल्हाड़ी काल.
मगर गरीबी में हैं जीते भारत माँ के लाल..
भौतिकता फैशन में फँसकर अपने हुए पराये,
अर्धनग्न कपड़ों में घूमें अपने घर के जाये,
मुखमंडल पर बाँधे कपड़ा जैसे काले साये,
मगर दुहाई स्वतंत्रता की भगत सिंह भर पाये,
पाया है यदि भारतीय दिल क्योंकर ओढ़ी खाल?
मगर गरीबी में हैं जीते भारत माँ के लाल..
कृषक आत्महत्या करते जब अन्य हुए क्यों मोटे?
मेहनतकश का बनें सहारा कर्म करें मत खोटे,
खाद बीज संसाधन सारे सहज सुलभ हों भाई,
बहते आँसू पोछेंगें जब होगी तब भरपाई,
उसकी खोज खबर भी ले लें हमें रहा जो पाल.
मगर गरीबी में हैं जीते भारत माँ के लाल..
कैसे देश एक हो अपना कैसे इसे बचायें?
आज मित्रवर कैसे सच्ची स्वतंत्रता को पायें?
भारतीयता का हो जज्बा स्वार्थमुक्ति ही नारा,
मित्र-भाव मिलकर अपनायें बहे सनातन धारा,
दिनचर्या हो नित्य फ़ौज सी होगा दूर बवाल.
मगर गरीबी में हैं जीते भारत माँ के लाल..
सत्ता हस्तांतरण दिवस यह आता है हर साल.
मगर गरीबी में हैं जीते भारत माँ के लाल..
इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'
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