इधर उधर फुदकती मन भाती चारों ओर चहचहाती चिरैया आँगन में नृत्य करती गौरैया लगता है शायद अब किताबों में ही दिखेगी अमानवीय क्रूर हाथों से कैसे बचेगी वो ? --अम्बरीष श्रीवास्तव
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इधर उधर फुदकती मन भाती चारों ओर चहचहाती चिरैया आँगन में नृत्य करती गौरैया लगता है शायद अब किताबों में ही दिखेगी अमानवीय क्रूर हाथों से कैसे बचेगी वो ? --अम्बरीष श्रीवास्तव
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