मनहरण घनाक्षरी
(समसामयिक)
अच्छा किया सरकार, बंद पञ्च सौ हजार,
कैसे चले कारोबार, हमें भी बताइये.
कैश बिना कैशलेस, जीते जाते शेमलेस,
लोग हुए होपलेस, उन्हें समझाइये.
लुटें चाहे बार-बार, कार्ड स्वैप करें यार,
पेटीएम की बहार, खुश भी हो जाइये.
जनता पे धरें धार, दल दल से जो प्यार,
दे-दे छूट बेशुमार, गले लिपटाइये..
--इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'.
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