Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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“बंटवारा कराया है”

 


बिना सोंचे बिना जाने जो मनमाना कराया है
जरा अंजाम तो देखो हमें रुसवा कराया है.
कटारी पीठ पीछे है जुबां मीठी शहद घोले,
दगा दे वक्त पर सबको सही धंधा कराया है.
नजर है ढूंढती उनको जो छिपते थे निगाहों से,
मिला बेबाक जब साकी तो छुटकारा कराया है.
तुम्हारी दोस्ती से तो है अपनी दुश्मनी अच्छी,
इन्हीं नादानियों से हारकर सौदा कराया है.
हजारों दर्द सहकर भी जुबां खामोश थी लेकिन ,
ज़रा सी जिद ने इस आँगन का बंटवारा कराया है.

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