छंद कुण्डलिया
(समसामयिक)
बंगाली जंगल दिखा, भीषण अत्याचार.
मन मुस्काती लोमड़ी, सब सियार तैयार.
सब सियार तैयार, हिरण बचने मत पायें.
फूंकें कुनबा नित्य, मजे में भूनें खायें.
मँजे सेक्युलर श्वान, उन्हें शह दें दे ताली.
देख व्यवस्था पंगु, चकित है मन बंगाली??
बचना यदि हैं चाहते, तीव्र करें प्रतिकार
सूअरों से मांगें मदद, होगा बेड़ा पार.
होगा बेड़ा पार, सिंह सोते जागेगें.
बन हाथी चिंघाड़, शत्रु सारे भागेगें.
हिरण बनें मत मित्र, सिंह सा दम हो वरना.
हैं सियार अति क्रूर, पड़ेगा मुश्किल बचना..
इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'
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